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“चाचा नेहरू ! आपका सबसे अधिक वजन कब और कितना था ?” फूल सी कोमल बालिका ने प्रधानमंत्री नेहरू के सम्मुख प्रश्न रखा। नेहरू उस अजीब प्रश्न को सुनकर आश्चर्य में पड़ गए। वह अपनी स्मृतियों पर जोर देते हुए प्रेमिल वाणी में बोले ‘प्यारी मुन्नी! जब मैं अहमदनगर जेल में था, उस समय मेरा वजन १६२ पौंड था।” चाचा ने अपनी फूल सी वाणी बिखेरते हुए कहा-“जेल के जीवन की कठोरताओं ने ही मेरे वजन को बढ़ाया और स्वस्थ रखा। मैं अपने को अन्य व्यक्तियों की अपेक्षा सौभाग्यशाली मानता था कि अपने देश को स्वतंत्रता दिलाने के लिए जेल में कठिनाइयाँ सहन कर रहा हूँ और इस प्रसन्नता तथा निश्चितता के जीवन ने ही मेरे वजन को बढ़ाया है।”
कठिनाइयों में भी व्यक्ति को कुछ न कुछ लाभ अवश्य प्राप्त होता है।
अमृत कण ( सचित्र बाल वार्ता )
युग निर्माण योजना , मथुरा