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टिमटिमाते दीपक को देखकर सूरज बोला-“नन्हे बच्चे, अंधकार की शक्ति तूने देखी नहीं। अजगर है वह निगल जाएगा तुझे, चुपचाप बैठ, जीवन नष्ट मत कर।” दीपक बोला— “तात् । निरंतर चलते रहने का व्रत आपने नहीं तोड़ा तो मैं ही उसे क्यों छोडूं, मैं भी जब तक जीवन है (तेल है) जलता रहूँगा।”
कोई कितना ही छोटा क्यों न हो, मन के दृढ़ विश्वास और मेहनत से वह बड़े से बड़ा काम भी कर लेता है।
अमृत कण ( सचित्र बाल वार्ता )
युग निर्माण योजना , मथुरा