सुखद सुयोगों की शुभ बेला आने वाली है, नई सुबह स्वर्णिम परिदृश्य दिखाने वाली है।
महारोग से अधिक संक्रमण भय का फैला है, देश-देश में छाया वातावरण विषैला है,
भूतल से भय का यह भूत भगाने वाली है।
नई सुबह स्वर्णिम परिदृश्य दिखाने वाली है।
ईश्वर का जो काम करेगा, वह निर्भय होगा, तन-मन-आत्मा का बल उसका कभी न क्षय होगा, आज आपदा यही बात समझाने वाली है।
नई सुबह स्वर्णिम परिदृश्य दिखाने वाली है।
युगऋषि के वंशज जो अपना लक्ष्य न भूलेंगे, उनके बल से हर ऊंचाई मिलकर छू लेंगे, हर जड़ता बेमौत वहाँ मर जाने वाली है।
नई सुबह स्वर्णिम परिदृश्य दिखाने वाली है।
माँ के संग अखण्ड ज्योति की जन्मशती होगी, श्रद्धावानों बीच न होंगे तब कपटी-ढोंगी, ऋतंभरा प्रज्ञा अब दंड सुनाने वाली है।
नई सुबह स्वर्णिम परिदृश्य दिखाने वाली है।
कभी न गुरु के लिए समर्पण जो डगमग होगा, नहीं विपथ पर गया स्वार्थवश ,जिनका पग होगा ;माँ उन पर अनुदान अमित बरसाने वाली है। नई सुबह स्वर्णिम परिदृश्य दिखाने वाली है।
डाल-डाल उस बेला नव किसलय उग आएँगे, कोयल, कीर, मयूर, सभी उल्लास बढ़ाएँगे, स्वर्गिक सुषमा सभी ओर अब छाने वाली है।
नई सुबह स्वर्णिम परिदृश्य दिखाने वाली है।
-अखंड ज्योति-
(Jan 2021)
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