Home Akhand Jyoti Magazine हम अपने सामर्थ्य से बाहर की बात न सोचें।

हम अपने सामर्थ्य से बाहर की बात न सोचें।

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सफल व्यक्ति कार्य को क्रियात्मक रूप से कर देने में विश्वास करते हैं। उनके आन्तरिक जीवन तथा बाह्य क्रियात्मक जीवन में पूर्ण समानता होना चाहिए। नेपोलियन पढ़ा लिखा नहीं था, अधिक सोचता नहीं था, लेकिन वह कार्य करने का प्रेमी था। “मुझे बड़ी-बड़ी योजनाएँ मत बताओ, जो मैं कर सकूँ, वही मुझे चाहिए।” यही उसका उद्देश्य था। शिवाजी की शिक्षा कितनी थी? अकबर ने कौन सी डिग्री डिप्लोमा प्राप्त किए थे? पर अपनी अद्भुत कार्य करने की शक्ति द्वारा उन्होंने प्रसिद्धि प्राप्त की थी। योजनाएँ निर्माण करने के पूर्व यह सोचिए कि क्या आप उन्हें कर सकेंगे? क्या उनमें और आपकी शक्तियों में अनुपात बराबर है? कहीं आप अपने सामर्थ्य से बाहर की बात तो नहीं सोच रहे हैं? अनेक व्यक्तियों के मस्तिष्क उत्तम-उत्तम विचारों से परिपूर्ण हैं और उनकी प्राप्ति के लिए अनेक सुविधाएँ भी उन्हें उपलब्ध है।

सफलता की अनेक युक्तियाँ भी उनके पास है, किन्तु फिर भी क्या कारण है कि वे लोग आगे नहीं बढ़ पाते हैं? इनके व्यक्तित्व की त्रुटि यह है, कि ये कागजी योजनाएँ तो यथेष्ट बनाते हैं, परन्तु स्वयं के विचारों को कार्य रूप में परिणत नहीं करते। क्या लाभ है उस विचार से जिस पर काम न किया जाए? यह वैसा ही है, जैसा एक बीज जो बञ्जर भूमि पर पड़ गया हो और अँकुरित न हो सका हो। यह वह पुण्य है जो फड़कर फल का उत्पादन नहीं करता। व्यर्थ ही खिलकर अपनी पंखुड़ियाँ इधर-उधर छितरा देता है। ऐसे अनेक व्यक्ति निष्क्रिय, बेकार, कोरे बातूनी जमा खर्च करने वाले होते हैं, उनसे महान कार्य की आशा नहीं की जा सकती है। आवश्यकता इस बात की है, कि आप जो सोचें-विचारें या योजनाएँ विनिर्मित करें, वे इस प्रकार की हो, जिन्हें कि आप कार्य रूप में परिणत कर सकें। कार्य न करने वाला व्यक्ति एक प्रकार का शेखचिल्ली है। वह बड़ी-बड़ी योजनाएँ बनाता है, बड़ी-बड़ी बातें करता है। कार्य की सफलता के लिए आपकी मानसिक, शारीरिक या क्रियात्मक शक्तियों का एकीकरण आवश्यक है और इस एकीकरण को कार्य के उद्देश्य की ओर केन्द्रित करना चाहिए। मानसिक दृष्टि से सचेष्ट और जागृत रहना व संकल्प शक्ति का विकास और संचालन करना जरूरी है। इन बातों पर भली-भाँति विचार करने के पश्चात कार्य करने में सफलता अवश्य मिलती है।

( संकलित व सम्पादित)

– अखण्ड ज्योति मार्च 1956 पृष्ठ 15

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