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जब निराशा और असफलता को अपने चारों ओर मँडराते देखो तो समझो कि तुम्हारा चित्त स्थिर नहीं, तुम अपने ऊपर विश्वास नहीं करते।वर्तमान दशा से छुटकारा नहीं हो सकता जब तक कि अपने पुराने सड़े-गले विचारों को बदल न डालो। जब तक यह विश्वास न हो जाए कि तुम अपने अनुकूल चाहे जैसी अवस्था निर्माण कर सकते हो तब तक तुम्हारे पैर उन्नति की ओर बढ़ नहीं सकते। अगर आगे भी न सँभलोगे तो हो सकता है कि दिव्य तेज किसी दिन बिलकुल ही क्षीण हो जाए। यदि तुम अपनी वर्तमान अप्रिय अवस्था से छुटकारा पाना चाहते हो तो अपनी मानसिक निर्बलता को दूर भगाओ। अपने अंदर आत्मविश्वास जागृत करो।
हारिए न हिम्मत
-पंडित श्रीराम शर्मा आचार्या