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प्रेम ही एक ऐसी महान शक्ति है जो प्रत्येक दिशा में जीवन को आगे बढ़ाने में सहायक होती है। बिना प्रेम के किसी के विचारों में परिवर्तन नहीं लाया जा सकता। विचार तर्क-वितर्क की सृष्टि नहीं हैं। विचारणा तथा विश्वास बहुकाल के सत्संग से बनते हैं। अधिक समय की संगति का ही परिणाम प्रेम है। इसलिए विचार धारणा अथवा विश्वास, प्रेम का विषय है। यदि हम दूसरों पर विजय प्राप्त करके उनको अपनी विचारधारा में बहाना चाहते हैं, उनके दृष्टिकोण को बदलकर अपनी बात मनवाना चाहते हैं, तो प्रेम का सहारा लेना चाहिए। तर्क और बुद्धि हमें आगे नहीं बढ़ा सकते है। विश्वास रखिए कि आपकी प्रेम और सहानुभूतिपूर्ण सभी बातों को सुनने के लिए दुनियाँ विवश होगी।
हारिए न हिम्मत
-पंडित श्रीराम शर्मा आचार्या