संसार में जितनी प्रकार की श्रेष्ठ-शक्तियाँ हैं वे भगवान की प्रदान की हुई हैं । धन की शक्ति भी उन्हीं के द्वारा उत्पन्न की गई है और उन्होंने ‘लक्ष्मी’ के रूप में उसे संसार के कल्याणार्थ प्रेरित किया है । मनुष्य का कर्तव्य है कि इसे भगवान् की पवित्र धरोहर समझकर ही व्यवहार करे । इतना ही नहीं उसे इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि यह शक्ति ऐसे लोगों के पास न जा सके जो इसका दुरुपयोग करके दूसरों का अनिष्ट करने वाले हों ।