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व्यक्तित्व से जुड़े सफलता के तार

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जीवन में हर व्यक्ति सफल होना चाहता है और सफलता हर व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार भी है, लेकिन सफलता की अंधी दौड़ में जब इसके सही माने समझ से नदारद हो जाते हैं तो फिर व्यक्ति को आभासित सफलता के चरम पर भी आंतरिक संतुष्टि एवं प्रसन्नता नहीं मिल पाती। ऐसे में सफलता पर प्रश्नचिह्न लग जाते हैं और सफलता के समग्र स्वरूप पर विचार करना आवश्यक हो जाता है, जो व्यक्तित्व के समग्र विकास से जुड़ा हुआ है। प्रस्तुत है इस समग्र सफलता का राजमार्ग व इससे जुड़े कुछ आवश्यक सोपान।

शारीरिक स्वास्थ्य सफलता का पहला सबल आधार है।िना स्वास्थ्य के सफलता अधूरी ही मानी जाएगी क्योंकि ऐसे में व्यक्ति जीवन के उस सुख और आनंद से वंचित रहता है, जो सफलता को पूर्णता का एहसास दिला सके और स्वास्थ्य का आधार रहता है आहार-विहार का संयम, श्रमशील जीवन और संतुलित दिनचर्या इसी के सार को इंद्रियसंयम के रूप में समझा जा सकता है। इंद्रियसंयम से संरक्षित ऊर्जा ही स्वास्थ्य के साथ सफलता का बारूद बनती है। इस संदर्भ में बरती गई जागरूकता स्वस्थ जीवन को सुनिश्चित करती है और मानसिक रूप से भी व्यक्ति को सबल बनाती है।

सफलता का दूसरा आधार रहता है, मानसिक स्वास्थ्य एवं संतुलन- जो मन की सकारात्मक, संतुलित एवं ध्येयनिष्ठ अवस्था द्वारा निर्धारित होता है और यदि सोच नकारात्मक है, अतिवाद से भरी है तथा अपने ध्येय के प्रति एकनिष्ठ नहीं है तो ऐसी चंचल, अस्थिर एवं विक्षिप्त मनःस्थिति को सफल जीवन के साथ नहीं जोड़ा जा सकता।

सफलता के लिए मन की न्यूनतम स्थिरता अपेक्षित रहती है और मानसिक स्वास्थ्य संतुलन का आधार रहता है-मन की वैचारिक लयबद्धता। हम दिन भर किन विचारों में रमण कर रहे हैं? कितना हम अपने जीवन ध्येय की ओर बढ़ रहे हैं? मन कितनी आशा एवं उत्साह से भरा हुआ है? यह महत्वपूर्ण हो जाता है। इसकी परिणति जीवन को शांत एवं प्रसन्न अवस्था के रूप में सामने आती है।

इसके साथ यह भी जरूरी होता है कि हम जीवन में आ रहे उतार-चढ़ाव, हानि-लाभ, मान-अपमान जैसे द्वंडों के बीच कितना जल्दी मन को सम एवं स्थिर कर पाते हैं। राग-द्वेष के थपेड़ों के बीच हम कितना भावनात्मक संतुलन को साथ पाते हैं। इस तरह के मानसिक तप की क्षमता जीवन की सफलता को तय करती है और इस तरह से उपजे आंतरिक संतुलन के साथ जीवन में सफलता का ठोस आधार तैयार होता है और इसका कर्तव्यकर्म से सीधा संबंध रहता है।

समग्र सफलता के लिए जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े कर्त्तव्यों का निर्वहन आवश्यक सोपान है। इनके प्रति आलस्य-प्रमाद जीवन में सार्थकता की अनुभूति से व्यक्ति को वंचित रखता है। अपने तन-मन एवं अंतरात्मा के साथ अपने परिवार, समाज, राष्ट्र एवं सकल मानवता के प्रति कर्तव्यों का पालन ही वह राजमार्ग है, जो व्यक्ति को गहरी संतुष्टि एवं सार्थकता का एहसास देता है।

उपरोक्त वर्णित जीवन के सरल सहज सूत्र सफलता के आधार हैं, जो इसकी गहरी एवं ठोस नींव तैयार करते हैं। व्यक्तित्व निर्माण की प्रक्रिया के साथ ऐसे में जीवन की सफलता का भव्य भवन रूपाकार लेता है। इसके अंतर्गत व्यक्ति अपनी योग्यता का वर्द्धन एवं अपनी प्रतिभा का संवर्द्धन करता है और जब तक व्यक्ति शरीर व मन के आधार पर स्वस्थ नहीं है, संतुलित नहीं है तथा अपने कर्तव्यों का सम्यक पालन नहीं कर रहा है तो व्यक्तित्व निर्माण की यह प्रक्रिया सही ढंग से आगे नहीं बढ़ पाती और ऐसे में सफलता अधूरी ही रह जाती है।

इन चरणों को पूरा किए बिना तुरत-फुरत में खड़ा किया गया सफलता का भवन बहुत ही नाजुक एवं डॉवाडोल होता है, जो प्रतिकूलताओं के थपेड़े खाकर कब धराशा हो जाए, कहा नहीं जा सकता; जबकि ठोस नींव पर आधारित सफलता ही टिकाऊ होती है। इसमें समय लग सकता है, लेकिन इसके साथ उपलब्ध सफलता सही माने में काबिले तारीफ होती है तथा स्थायी मूल्य लिए हुए होती है।

उपरोक्त चरण पूरा होने के साथ रचनात्मक उत्कृष्टता की स्थिति स्वाभाविक रूप में मूर्त होती है। यह बहुत कुछ व्यक्ति के स्वभाव एवं अंतर्निहित विशेषताओं के ऊपर आधारित होती है व इनके द्वारा निर्धारित होती है। इन चरणों के पूरा होने के साथ व्यक्तित्व के लक्षित आयाम क्रमशः अपनी सिद्धि के साथ पुष्पित पल्लवित होने लगते हैं और जीवन में बहुरंगी छटा के साथ जीवन को सुरभित करते हैं और इसी के साथ जैसे व्यक्तित्व का पुष्प खिलना प्रारंभ हो जाता है।

अपनी समग्रता में पूरी ईमानदारी और समझदारी के साथ संपन्न यह प्रक्रिया स्वाभाविक रूप में आध्यात्मिक संस्पर्श लिए होती है। इस तरह जीवन की समग्र सफलता व्यक्तित्व के विकास के साथ चरणबद्ध ढंग से संपन्न होती है, जिसका कोई शॉर्टकट नहीं |

यदि कोई शॉर्टकट से सफलता के शिखर पर आरूढ़ हो भी जाए तो वह इससे जुड़े सार्थकता के बोध से वंचित रहता है और ऐसी सफलता नींव के कमजोर होने पर अधिक देर तक टिकी नहीं रह पाती। स्थायी सफलता का आधार तो आंतरिक जड़ों के आधार पर खड़ा किया गया व्यक्तित्व का भव्य भवन है, जो जीवन के प्रति गहरी समझ एवं ठोस चारित्रिक आधार लिए होता है।

अखण्ड ज्योति,जनवरी 2022

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