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खिलाड़ी भावना अपनाओ

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आपके विषय में, आपकी योजनाओं के विषय में, आपके उद्देश्यों के विषय में अन्य लोग जो कुछ विचार करते हैं, उस पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता नहीं है। अगर वे आपको कल्पनाओं के पीछे दौड़ने वाला उन्मुक्त अथवा स्वप्न देखने वाला कहें तो उसकी परवाह मत करो। तुम अपने व्यक्तित्व पर श्रद्धा को बनाए रहो। किसी मनुष्य के कहने से, किसी आपत्ति के आने से अपने आत्म विश्वास को डगमगाने मत दो। आत्मश्रद्धा को कायम रखोगे और आगे बढ़ते रहोगे तो जल्दी या देर में संसार आपको रास्ता देगा ही।आगे भी प्रगति के प्रयास तो जारी रखे ही जाएँ पर वह सब खिलाड़ी भावना से ही किया जाए।

हारिए न हिम्मत

-पंडित श्रीराम शर्मा आचार्या

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