“चाचा नेहरू ! आपका सबसे अधिक वजन कब और कितना था ?” फूल सी कोमल बालिका ने…
“चाचा नेहरू ! आपका सबसे अधिक वजन कब और कितना था ?” फूल सी कोमल बालिका ने…
गृह-कलह की चिनगारी जिस घर में सुलग जाती है, उसमें बड़ा अप्रिय, कटु और दुखदायी वातावरण बना…
उपवास द्वारा मनुष्य की नैतिक और आध्यात्मिक उन्नति होती है, उसकी बुद्धि और विवेक जागृत होता है l स्वास्थ्य, आरोग्यता, दीर्घायु के अतिरिक्त आध्यात्मिक दृष्टि से उपवास का विशेष महत्व है । उपवास में बहुत-सी नीच प्रवृत्तियाँ क्षीण हो जाती हैं, अन्तर्दृष्टि पवित्र बनती है, वृत्तियाँ वश में रहती हैं, धर्म बुद्धि प्रबल बनती है, काम, क्रोघ, लोभ आदि षट्रिरिपु क्षीण पड़ जाते हैं, प्राणशक्ति का प्रबल प्रवाह हमारे हदय में बहने लगता है और शान्त रस उत्पन्न होता है । उपवास से इन्द्रियों का नर्तन, वृत्तियों का व्यर्थ इघर-उधर बहक जाना और एकाग्रता का अभाव दूर हो जाता है । ईश्वर पूजन, साधना तथा योग के चमत्कारों के लिए उपवास अमोघ औषधि है ।
मनुष्य को बाहर और भीतर से पवित्र रहना चाहिए क्योंकि पवित्रता में ही प्रसन्नता रहती है । आलस्य और दरिद्र, पाप और पतन जहाँ रहते हैं वहीं मलिनता या गन्दगी का निवास रहता है । जो ऐसी प्रकृति के हैं उनके वस्त्र घर, सामान, शरीर, मन, व्यवहार, वचन, लेन-देन सबमें गन्दगी और अव्यवस्था भरी रहती है । इसके विपरीत जहाँ चैतन्यता, जागरूकता, सुरुचि, सात्विकता होगी वहाँ सबसे पहले स्वच्छता की ओर ध्यान जाएगा । सफाई, सादगी और सुव्यवस्था में ही सौन्दर्य है, इसी को पवित्रता कहते हैं ।
Khalifa Umar (civil and spiritual head of the state) was going with his Gulam (servant) through a…
खलीफा उमर अपने गुलाम के साथ एक देहात में जा रहे थे कि एक बुढ़िया को जोर-जोर…
Draupadi was bathing in river Yamuna. At some distance, a Sadhu was also taking bath. His Langoti,…
द्रौपदी जमुना में स्नान कर रहीं थीं। दृष्टि दौड़ाई तो देखा कि कुछ दूर पर एक साधु…
संसार में जितनी प्रकार की श्रेष्ठ-शक्तियाँ हैं वे भगवान की प्रदान की हुई हैं । धन की शक्ति भी उन्हीं के द्वारा उत्पन्न की गई है और उन्होंने ‘लक्ष्मी’ के रूप में उसे संसार के कल्याणार्थ प्रेरित किया है । मनुष्य का कर्तव्य है कि इसे भगवान् की पवित्र धरोहर समझकर ही व्यवहार करे । इतना ही नहीं उसे इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि यह शक्ति ऐसे लोगों के पास न जा सके जो इसका दुरुपयोग करके दूसरों का अनिष्ट करने वाले हों ।
Friends, Deva-DakSHiña- Thanksgiving to the gods- is an integral part of all yagyas – including the yug-yagyas…