संत चिदंबर उन दिनों सिद्धपुरुष माने जाते थे। कितने ही लोग उनके पास सहायता हेतु वरदान माँगने…
संत चिदंबर उन दिनों सिद्धपुरुष माने जाते थे। कितने ही लोग उनके पास सहायता हेतु वरदान माँगने…
अर्जुन ने एक बार बाँसुरी से पूछा- “सुभगे! तुम्हें कृष्ण स्वयं हर समय ओठों से लगाए रहते…
इंद्रियाँ आत्मा के औजार हैं, सेवक हैं, परमात्मा ने इन्हें इसलिए प्रदान किया है कि इनकी सहायता से आत्मा की आवश्यकताएँ पूरी हों और सुख मिले। सभी इंद्रियाँ बड़ी उपयोगी हैं। सभी का कार्य जीव को उत्कर्ष और आनंद प्राप्त कराना है। यदि उनका सदुपयोग किया जाए तो मनुष्य निरंतर जीवन का मधुर रस चखता हुआ जन्म को सफल बना सकता है।
जागृत जिज्ञासा एवं सतत स्वाध्याय व्यक्तित्व-विकास के अमोघ उपाय _”शीघ्र मृत्यु से बचना है तो मानसिक व्यायाम…
An old, tall and strong tree was cut near its roots and was lying on the ground.…
(Translation of the original discourse in Hindi given on the last day of an anushthan camp at…
आज यज्ञ की बेला, साधक करो हृदय पावन । किरणों के द्वारा सूरज का सन्देश आया। विहँगावलि…
(Translation of a discourse by Gurudev Pandit Shriram Sharma Acharya on “Susankari Banaye, Kaisi Ho Wah Shiksha”)…
संसार की प्रत्येक वस्तु में भले-बुरे दोनों प्रकार के तत्त्व विद्यमान हैं, ठीक उसी तरह जैसे काल…
नवरात्रि के नौ दिनों में सम्पूर्ण देश मातृमय हो रहा है। हम सभी देशवासियों का मन अपने…