चैत्र नवरात्र अनुष्ठान-साधना का दिव्यतम एवं श्रेष्ठतम मुहूर्त है। इस पावन अवसर पर किया जाने वाला अनुष्ठान शतोगुणी-सहस्रगुणी परिणाम लेकर आता है। चैत्र या वासंती नवरात्र चैत्र शुक्ल की प्रथम नौ तिथियों में संपन्न होता है। शरद ऋतु के समान वसंत ऋतु में भी दुर्गा माता का पूजन किया जाता है। इसी कारण इसे वासंतीय नवरात्र भी कहते हैं। दुर्गा ,गायत्री का ही एक नाम है। अतः इस नवरात्र में विभिन्न पूजनपद्धति के साथ-साथ गायत्री का लघु अनुष्ठान भी विशिष्ट फलदायक होता है। इसी नवरात्र के साथ नूतन संवत्सर का भी शुभारंभ होता है।