एक व्यक्ति को किसी ने बोला कि गणेश जी की पूजा करने से धन-धान्य की वृद्धि होती है। उसने अगले ही दिन अपने घर में गणेश जी की मूर्ति स्थापित की और उनकी पूजा-अर्चना आरंभ कर दी। वह नित्य उनकी मूर्ति के समक्ष घंटे-घड़ियाल बजाता और भाँति-भाँति के स्तोत्रों का पाठ करता। वर्षों बीत गए, पर उसकी आर्थिक स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ।
एक दिन क्रोध में आकर उसने गणेश जी की मूर्ति पूजास्थली से हटाकर माँ लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित कर दी। अगले दिन पूजा के क्रम में उसने अगरबत्ती जलाई तो उसके मन में विचार उठा कि इसका धुआँ गणेश जी की मूर्ति तक नहीं पहुँचने देगा। उसने रूई की दो गोलियाँ बनाकर गणेश जी की मूर्ति की नाक में लगा दीं। अब गणेश जी की प्रतिमा हँसने लगी। वह घबराया तो मूर्ति बोली – “जब तक तू हमें जड़ मानता रहा, हम भी तेरे जड़ भगवान रहे, जिस दिन तूने हममें चेतना की अभिव्यक्ति की, उस दिन हमें तुझसे मिलने आना पड़ा।”