Home Akhand Jyoti Magazine हमारे व्यक्तित्व व जीवन को प्रभावित करने वाले- पाँच कारक

हमारे व्यक्तित्व व जीवन को प्रभावित करने वाले- पाँच कारक

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किसी भी व्यक्ति के पूर्वजन्म में किए गए कर्म, उसके वर्तमान जन्म के माता-पिता, परिवार के सदस्य, मित्र-सहयोगी, शिक्षक व शिक्षा का परिवेश व वातावरण आदि सब उसके व्यक्तित्व पर विशेष प्रभाव डालते हैं। उनके व्यक्तित्व को एक आकार प्रदान करते हैं, जिसके आधार पर ही उसका व्यक्तित्व सुदृढ़ व परिपक्व होता है और उसके भावी जीवन का निर्धारण होता है।

(1) हमारे पूर्वकृत कर्म- मनुष्य ने अपने पूर्व जन्मों में अर्थात् इस जन्म से पहले वाले जन्मों में भी जो भी अच्छे या बुरे कर्म किए हैं, उन्हीं के अनुसार उसे अगली योनि प्राप्त होती है। यदि वह अपने इस जीवन में अच्छे विचार रखता है, किसी के प्रति ईर्ष्या, द्वेष की भावना नहीं रखता और सदैव प्रसन्नचित्त रहता है, तो वह निश्चित रूप से एक सुखद भविष्य की रचना कर रहा होता है।

(2) माता-पिता का प्रभाव- जिस व्यक्ति के माता-पिता संयमी, निष्कपट, ईमानदार, निश्छल, संस्कारवान व उदार प्रकृति के होते हैं, जो मिथ्या वचन नहीं बोलते हैं, जो सबसे अच्छा व्यवहार करते हैं, बच्चों को भी अच्छी शिक्षा देते हैं, उनकी सन्तान भी अपने माता-पिता को देखकर वैसी ही बन जाती हैं।

(3) परिवार के सदस्यों का प्रभाव- घर का वातावरण यदि अच्छा होगा, तो उसका प्रभाव निश्चित रूप से मनुष्य के चरित्र व स्वभाव पर पड़ेगा अन्यथा यदि घर का वातावरण कलह-क्लेश से भरा हुआ है, तो इसका बच्चे के चरित्र, स्वभाव व व्यवहार पर विपरीत असर पड़ता है।

(4) साथियों व मित्रों का प्रभाव- बच्चे के अभिभावकों को इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए कि उनके बच्चे के साथी-मित्र कैसे हैं? वह किनसे अक्सर मिलता-जुलता है? किस तरह की आदतें उनके जीवन में शामिल हो रही है? यदि संगति के कारण बच्चे के व्यवहार में सकारात्मक परिवर्तन हैं, तो यह उसके लिए अच्छी बात है लेकिन यदि बच्चे के व्यवहार में समय के साथ नकारात्मक परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं, तो यह मुख्य रूप से संगति का असर होता है, जिस पर ध्यान देना और समय रहते उसे गलत संगति से बचाना बेहद जरूरी है।

(5) शिक्षा व शिक्षकों का प्रभाव- शिक्षक एक तरह से बच्चों के लिए रोल मॉडल की तरह होते हैं। इसलिए उनके व्यक्तित्व की अमिट छाप बच्चों के जीवन पर पड़ती है। शिक्षक बच्चों को जैसा सिखाते हैं, जैसा पढ़ाते हैं, जैसे क्रियाकलाप कराते हैं, उन्हें शीघ्रता से सीखते हैं। देश की वास्तविक उन्नति तभी होगी, जब हमारे देश के शिक्षक अपना दायित्व समझेंगे और वे देश की भावी पीढ़ी को अच्छे से गढ़ने में अपनी भूमिका निभाएँगे।

( संकलित व सम्पादित)

– अखण्ड ज्योति जून 2019 पृष्ठ 29

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