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दिन भर भीख माँगने के बाद भिखारी एक पेड़ के नीचे बैठकर आराम करने लगा। उसी राह से एक मजदूर आया और वह भी पेड़ के नीचे आकर बैठ गया। भिखारी ने एक दृष्टि मजदूर पर डाली और उससे बोला – “तुमने आज दिन भर जितनी कमाई की, उतनी तो मैं आधे दिन में कर लेता हूँ। भला तुम्हारे में और मुझमें क्या अंतर रहा ?” मजदूर बोला – “मित्र ! अंतर परिश्रम और जाहिली का है। मैं अपने पुरुषार्थ से कमाता हूँ और उस कमाई को गर्व से अनुभव करता हूँ; जबकि तुम याचना के पात्र बनते हो और उस धन को अपना मान लेते हो।” भिखारी का आत्मसम्मान जागा और वह भी मेहनत करने निकल पड़ा।
अखंड ज्योति
जून २०२१