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Entertainment is a prime necessity of our lives. The nature of the human mind is such that…
उदारता और दूरदर्शिता भाग ३
उदारता एक ऐसा दैवी तत्व है जो मनुष्य के व्यक्तित्व को अत्यन्त आकर्षक और अनेक गुणों का केन्द्र बना देता है। उदार व्यक्ति के साथ सदैव बहुसंख्यक व्यक्तियों की शुभकामनाएँ और आशीर्वाद रहते हैं। किसी कारणवश
आपत्ति में पड़ जाने पर या निर्धन हो जाने पर भी लोगों की सहानुभूति उसके साथ रहती है और उसके आदर-सम्मान में कमी नहीं आती । इसलिए मनुष्य को चाहिए कि अपने कार्यों, व्यवहार और विचारों द्वारा सदैव दूसरों के साथ उदारता का व्यवहार करें और इस बात का सदैव ध्यान रखें कि उनके द्वारा किसी के लाभ के सिवा किसी प्रकार का शारीरिक या मानसिक कष्ट न पहुँचे ।
उदारता और दूरदर्शिता भाग २
उदारता का सबसे अधिक काम व्यवहार में पड़ता है । हमको प्रतिदिन जान, अनजान, मित्र, शत्रु, उदासीन, अमीर, गरीब, समान स्थिति वाले, अफसर, नौकर आदि के साथ व्यवहार करने की आवश्यकता पड़ती है।
उदारता की वास्तविक पहचान तो छोटे,आश्रित और असमर्थ लोगों के प्रति किये गये व्यवहार में ही होती है । अगर उनसे आप मनुष्यता का, सहृदयता का, शिष्टता का व्यवहार करते हैं तो आप निस्संदेह उदार माने जायेंगे । महान पुरुष वे ही होते हैं जो आवश्यकता पड़ने पर छोटे-छोटे व्यक्ति के साथ सदयता का व्यवहार करने में संकोच नहीं करते ।
उदारता और दूरदर्शिता भाग १
मनुष्य जीवन को सफल और उन्नत बनाने वाले अनेकों गुण होते हैं—जैसे सचाई, न्यायप्रियता, धैर्य, दृढ़ता, साहस, दया, क्षमा, परोपकार आदि । इनमें से कुछ गुण तो ऐसे होते हैं जिनसे वह व्यक्ति स्वयं ही लाभ उठाता है और कुछ ऐसे भी होते हैं जिनके द्वारा अन्य लोगों का उपकार भी होता है और अपनी भी आत्मोन्नति होती है । उदारता एक ऐसा ही महान गुण है। मनुष्य के व्यक्तित्व को आकर्षक बनाने वाली यदि कोई वस्तु है, तो वह उदारता है । उदारता प्रेम का परिष्कृत रूप है ।
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