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एक मनुष्य ने किसी महात्मा से पूछा- “महात्मन् ! मेरी जीभ तो मंत्र जपती है, पर मन उस ओर नहीं लगता है। ” महात्मा बोले- “भाई ! कम-से-कम भगवान की दी हुई एक विभूति तो तुम्हारे वश में है, इसी पर प्रसन्नता मनाओ ।
जब एक अंग ने उत्तम मार्ग पकड़ लिया है तो एक दिन मन भी निश्चित रूप से ठीक रास्ते पर आएगा। मंत्र जपते चलो।”
युग निर्माण योजना
अक्टूबर 2020