अध्यात्म इस जीवन का सारतत्त्व है। संसार समाज की तमाम उपलब्धियों के बाद भी जीवन में जो…
अध्यात्म इस जीवन का सारतत्त्व है। संसार समाज की तमाम उपलब्धियों के बाद भी जीवन में जो…
गुप्तकाल में मगध में जन्मे चाणक्य बड़े मातृभक्त और पढ़ाई-लिखाई में लगे रहते थे। एक दिन उनकी…
एक बार एक व्यक्ति चलते-चलते थक गया था। वह थका हुआ व्यक्ति पहाड़ी के नीचे चुपचाप खड़ा…
ईश्वरचंद्र विद्यासागर तब एक किशोर ही थे। उदारतापूर्वक जो अपने पास था उसे दूसरों को बाँटते रहने…
वीरपुर (गुजरात) में एक किसान थे। उनका नाम था जलाराम। वे कृषि कार्य करते थे। जो अनाज…
Looking at the flickering lamp, sun said “Little child! You have not seen the power of darkness.…
टिमटिमाते दीपक को देखकर सूरज बोला-“नन्हे बच्चे, अंधकार की शक्ति तूने देखी नहीं। अजगर है वह निगल…
ऋषि अंगिरा के शिष्य उदयन बड़े प्रतिभाशाली थे, पर अपनी प्रतिभा के स्वतंत्र प्रदर्शन की उमंग उनमें…
मनुष्य के लिए शरीर, मन, चरित्र, आचार-विचार आदि सब प्रकार की पवित्रता आवश्यक है । पवित्रता मानव-जीवन की सार्थकता के लिए अनिवार्य है । मनुष्य का विकास और उत्थान केवल ज्ञान अथवा भक्ति की बातों से ही नहीं हो सकता, उसे व्यावहारिक रूप से भी अपनी उच्चता और श्रेष्ठता का प्रमाण देना आवश्यक है और इसका प्रधान साधन पवित्रता ही है ।
Once a pretty little girl asked Prime Minister Nehru-“Chacha Nehru! When was your weight at the highest…