“अपने अनन्य आत्मीय प्रज्ञा-परिजनों में से प्रत्येक के नाम हमारी यही वसीयत और विरासत है कि हमारे…
“अपने अनन्य आत्मीय प्रज्ञा-परिजनों में से प्रत्येक के नाम हमारी यही वसीयत और विरासत है कि हमारे…
રાજસ્થાનમાં હીરાલાલ શાસ્ત્રી નામના સંસ્કૃતના એક શિક્ષક હતા, તેમને માસિક ૪૫ રૂપિયા પગાર મળતો હતો. ૨૬ વર્ષની…
ફારસ દેશના બાદશાહનું નામ ન્યાયપ્રિયતાના પર્યાયના રૂપમાં લોક પ્રચલિત હતું. પ્રજા તેમની આજ્ઞાનું પાલન કરતી હતી. પ્રકૃતિ…
मन की शरीर पर क्रिया एवं शरीर की मन पर प्रतिक्रिया निरंतर होती रहती है। जैसा आप…
Who is a man of divine actions? A person whose lustful desires have been burnt in the…
The bioelectricity flowing through man and woman creates bio- magnetic fields having opposite polarity in their bodies.…
The innumerable technological advancements and inventions are intended for inventions are intended for the benefit of humanity,…
These days, stress has become a part of daily life. The Hungarian-Canadian scientist Hans Selye was the…
उदारता और दूरदर्शिता भाग ३
उदारता एक ऐसा दैवी तत्व है जो मनुष्य के व्यक्तित्व को अत्यन्त आकर्षक और अनेक गुणों का केन्द्र बना देता है। उदार व्यक्ति के साथ सदैव बहुसंख्यक व्यक्तियों की शुभकामनाएँ और आशीर्वाद रहते हैं। किसी कारणवश
आपत्ति में पड़ जाने पर या निर्धन हो जाने पर भी लोगों की सहानुभूति उसके साथ रहती है और उसके आदर-सम्मान में कमी नहीं आती । इसलिए मनुष्य को चाहिए कि अपने कार्यों, व्यवहार और विचारों द्वारा सदैव दूसरों के साथ उदारता का व्यवहार करें और इस बात का सदैव ध्यान रखें कि उनके द्वारा किसी के लाभ के सिवा किसी प्रकार का शारीरिक या मानसिक कष्ट न पहुँचे ।
उदारता और दूरदर्शिता भाग २
उदारता का सबसे अधिक काम व्यवहार में पड़ता है । हमको प्रतिदिन जान, अनजान, मित्र, शत्रु, उदासीन, अमीर, गरीब, समान स्थिति वाले, अफसर, नौकर आदि के साथ व्यवहार करने की आवश्यकता पड़ती है।
उदारता की वास्तविक पहचान तो छोटे,आश्रित और असमर्थ लोगों के प्रति किये गये व्यवहार में ही होती है । अगर उनसे आप मनुष्यता का, सहृदयता का, शिष्टता का व्यवहार करते हैं तो आप निस्संदेह उदार माने जायेंगे । महान पुरुष वे ही होते हैं जो आवश्यकता पड़ने पर छोटे-छोटे व्यक्ति के साथ सदयता का व्यवहार करने में संकोच नहीं करते ।