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परिवार निर्माण अपने युग का सबसे बड़ा काम है। उसके बिना नए समाज के निर्माण की आशा पूरी हो सकना जरा भी संभव नहीं है। सुविधा साधन बढ़ जाने से जीवनयापन में सरलता तो हो सकती है पर उतने मात्र से जीवन नहीं बनता । जीवन का अर्थ उतने तक ही सीमित नहीं है। उसकी गंभीरता और गरिमा तो स्तर पर ही निर्भर है। उच्चस्तर ही वह आधार है, जिसके सहारे अभावग्रस्त परिस्थितियों में भी स्वर्गीय संभावनाओं को मूर्तिमान बनाया जा सकता है। इस कमी के रहते यदि सुविधा साधन बढ़ने लगें तो उनके दुरुपयोग से संकट भी बढ़ेंगे । यहाँ साधन उपार्जन को महत्त्वहीन नहीं बताया जा रहा वरन कहा यह जा रहा है कि उत्कृष्ट