પર્ણક નામનો એક માણસ મહેનત કરીને જે કાંઈ મળે એનાથી પોતાનું ગુજરાન ચલાવતો હતો. તે કયારેક કયારેક…
પર્ણક નામનો એક માણસ મહેનત કરીને જે કાંઈ મળે એનાથી પોતાનું ગુજરાન ચલાવતો હતો. તે કયારેક કયારેક…
वसंत के आगमन के साथ ही चारों ओर प्रकृति के सौंदर्य की चर्चा होने लगती है। मलय पवन की सुगंध से लता-कुंज महक उठते हैं। पीली सरसों से सुसज्जित खेतों की शोभा देखते ही बनती है। चारों ओर हरियाली और फूलों को देखकर ऐसा कौन सा जीव है जो झूमे बिना रह सकता है ? वसंत का स्वागत करने के लिए प्रकृति का अंग-अंग खिल उठता है। इसी कारण वसंत को ‘ऋतुराज’ की उपाधि दी गई है।
जीवनीशक्ति का आधार है-शरीर का भली प्रकार स्वस्थ और सशक्त रहना तथा समस्त अंगों का अपना-अपना कार्य सहीतीर पर करते रहना। स्वास्थ्य के मुदव, रहने से ही सब प्रकार के कार्यों को ठीक तरह से कर सकने की क्षमता उत्पन्न होती है। मन प्रसन्न और उत्साहयुक्त रहता है। विचारों में संतुलन और स्थिरता रहती है और बुद्धि नए-नए तथा महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों की ओर अग्रसर होती है। इस दृष्टि से विचार करने पर यह निश्चय हो जाता है कि स्वास्थ्य ही हमारे जीवन की सबसे बड़ी पूँजी है जो व्यायाम इत्यादि से ही बनाए रखा जा सकता है।
शिवालय में जो शिवलिंग है, उसे आत्मलिंग, ब्रह्मलिंग कहते हैं। शिवलिंग यदि शिवमय आत्मा है तो उनके साथ, छाया की तरह अवस्थित माँ पार्वती उस आत्मा की । शक्ति हैं। इसमें संकेत-आशय यह है कि ऐसी कल्याणकारी, शिवमयी आत्मा की आत्मशक्ति भी छाया की तरह उनका अनुसरण करती है, प्रेरणासहयोगिनी बनती है। महाशिवरात्रि का परम पावन दिवस तो महादेव की साधना एवं सिद्धि का दिव्य अवसर है। यदि शिवाराधक इन भावनाओं के अनुरूप अपने व्यक्तित्व को गढ़ने के लिए व्रतशील हो जाएँ तो शिव पर अविरत टपकने वाली जलधारा की तरह युगाधिपति महाकाल की दैवी कृपारूपी अमृतधारा सहज ही साधक पर अविरल बरसती रहेगी। सच्चे अर्थों में शिवसाधक बनने के लिए जन-जन के दुःख-दरद को मिटाने के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए।
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