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मुस्कान में खरच नहीं करना पड़ता, पर वह पैदा बहुत करती है। इसे देने वाले दरिद्र नहीं होते, किंतु पाने वाले निहाल बनते हैं। यह कौंधती तो बिजली जैसी है, परंतु उसकी स्मृति कभी-कभी चिरस्थायी बनी रहती है।
कोई भी इतना धनी नहीं, जिसे मुस्कान पाने की आवश्यकता न हो। कोई इतना दरिद्र नहीं, जो इसे पाकर पुलकित न हो उठे। यह घर में सुख बिखेरती है।
मुस्कान थके हुए लोगों को विश्राम, निराशों को प्रकाश देने के लिए प्रकृति- प्रदत्त सर्वोपरि उपचार है।
युग निर्माण योजना
अक्टूबर, 2020