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ગુરુદેવે કોલબેલનું બટન દબાવ્યું. હાજર થયેલા કાર્યકર્તાને ક્ષેત્રના એક પરિજનનું નામ લઈ તેને પોતાની પાસે મોકલવા જણાવ્યું. આવનાર વ્યક્તિ સમયથી પોણો કલાક મોડો પહોંચ્યો હતો, તેથી તેણે થોડું ખચકાતાં- ખચકાતાં …
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ग्रीष्म ऋतु के दुष्प्रभाव से बचने के प्राकृतिक उपाय
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वसंत के आगमन के साथ ही चारों ओर प्रकृति के सौंदर्य की चर्चा होने लगती है। मलय पवन की सुगंध से लता-कुंज महक उठते हैं। पीली सरसों से सुसज्जित खेतों की शोभा देखते ही बनती है। चारों ओर हरियाली और फूलों को देखकर ऐसा कौन सा जीव है जो झूमे बिना रह सकता है ? वसंत का स्वागत करने के लिए प्रकृति का अंग-अंग खिल उठता है। इसी कारण वसंत को ‘ऋतुराज’ की उपाधि दी गई है।
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जीवनीशक्ति का आधार है-शरीर का भली प्रकार स्वस्थ और सशक्त रहना तथा समस्त अंगों का अपना-अपना कार्य सहीतीर पर करते रहना। स्वास्थ्य के मुदव, रहने से ही सब प्रकार के कार्यों को ठीक तरह से कर सकने की क्षमता उत्पन्न होती है। मन प्रसन्न और उत्साहयुक्त रहता है। विचारों में संतुलन और स्थिरता रहती है और बुद्धि नए-नए तथा महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों की ओर अग्रसर होती है। इस दृष्टि से विचार करने पर यह निश्चय हो जाता है कि स्वास्थ्य ही हमारे जीवन की सबसे बड़ी पूँजी है जो व्यायाम इत्यादि से ही बनाए रखा जा सकता है।
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शिवालय में जो शिवलिंग है, उसे आत्मलिंग, ब्रह्मलिंग कहते हैं। शिवलिंग यदि शिवमय आत्मा है तो उनके साथ, छाया की तरह अवस्थित माँ पार्वती उस आत्मा की । शक्ति हैं। इसमें संकेत-आशय यह है कि ऐसी कल्याणकारी, शिवमयी आत्मा की आत्मशक्ति भी छाया की तरह उनका अनुसरण करती है, प्रेरणासहयोगिनी बनती है। महाशिवरात्रि का परम पावन दिवस तो महादेव की साधना एवं सिद्धि का दिव्य अवसर है। यदि शिवाराधक इन भावनाओं के अनुरूप अपने व्यक्तित्व को गढ़ने के लिए व्रतशील हो जाएँ तो शिव पर अविरत टपकने वाली जलधारा की तरह युगाधिपति महाकाल की दैवी कृपारूपी अमृतधारा सहज ही साधक पर अविरल बरसती रहेगी। सच्चे अर्थों में शिवसाधक बनने के लिए जन-जन के दुःख-दरद को मिटाने के लिए सदैव तत्पर रहना चाहिए।
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अधिकांशत: व्यक्ति काम को टालने के रोग से ग्रस्त हैं। कितने ही कार्य ऐसे होते है जिन्हें तुरंत ही किया जाना चाहिए, परंतु कल-कल कहकर उन्हें टाला जाता है और …
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जन्म के बाद प्रतिक्षण आयु बढ़ती नहीं, अपितु घट रही है-यह ध्रुव सत्य है। जैसे शिशु का जन्म हुआ तब मान लीजिए 100 साल की उसकी आयु शेष है। एक …
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प्रत्येक प्राणी में परमात्मा का निवास है। प्राणियों की सेवा करने से बढ़कर दूसरी ईश्वरभक्ति हो नहीं सकती। कल्पना के आधार पर धारणा-ध्यान द्वारा प्रभु को प्राप्त करने की अपेक्षा …
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आज मनुष्य जितनी प्रगति कर सका है, उसके महत्त्वपूर्ण आधारों में एक बौद्धिक संपदा का पीढ़ी दर-पीढ़ी संरक्षण-संवर्द्धन भी है। ज्ञान ही प्रगति की आधारशिला है। ज्ञानरहित मनुष्य अन्य पशुओं …
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सूर्यदेव ने अपनी अंतिम किरणें समेट लीं। चारों ओर घना अंधकार छा गया। प्रकाश की कोई किरण नहीं दिखाई दे रही थी। सूर्य के अस्त होते ही सर्वत्र नीरवता छा …
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विवाह के समय वर और वधू दोनों के मन में अपने दांपत्य जीवन को लेकर कई मीठे-मीठे सपने उठते रहते हैं और हृदय में हिलोरें लेते रहते हैं। उस समय …
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अरबी कहावत है कि जीभ को इतना मत दौड़ने दो कि वह मन से आगे निकल जाए। मन को यह समझने-सोचने का अवसर मिलना चाहिए कि क्या कहना चाहिए, क्या …
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किस तरह करें नेतृत्व? यह सवाल प्रत्येक उच्चाकांक्षी मन को मथता है। छोटे बच्चों में कक्षाप्रतिनिधि का मामला हो या महाविद्यालय, विश्वविद्यालयों की क्रीड़ा टीमें, कंपनियों के सरोकार हों या …
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कवि स्टीफन अपने जीवनकाल में निकटवर्ती लोगों से बराबर कहा करते थे- “समय रबर है-उसे खींचकर लंबा करो, उसे सिकुड़ने न दो। यदि सिकुड़ जाएगा तो तुम पछताओगे। यदि फैल …
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स्वास्थ्य रक्षा के लिए जितना संतुलित आहार, जल, वायु, सूर्यताप, निद्रा, विश्राम आदि की आवश्यकता होती है, व्यायाम की उससे कम नहीं। यह सर्वमान्य एवं निरापद तथ्य है कि यदि …
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लंदन के एक प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक श्री नेक हेराल्ड के अध्ययन से महत्त्वपूर्ण निष्कर्ष यह निकाला कि वेश-भूषा का मनुष्य के चरित्र, वैभव, शील और सदाचार से गहनतम संबंध है। पुरुषों …
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घरेलू प्राकृतिक उपायों से कम करें कोलेस्ट्रॉल (1) चोकरयुक्त आटे की रोटी खाएँ। हरी सब्जियों, सलाद एवं फल की मात्रा बढ़ाएँ। (2) सरसों का तेल (कच्ची घानी का) या सूरजमुखी …
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महाविद्यालयों में अध्ययनरत छात्रों से उनकी शिक्षा का उददेश्य पूछा जाए तो 99 प्रतिशत विद्यार्थियों का उत्तर होगा-ऊँची शिक्षा प्राप्त कर हमें जीविकोपार्जन के अच्छे साधन मिल सकेंगे। आज से …
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मुस्कान में खरच नहीं करना पड़ता, पर वह पैदा बहुत करती है। इसे देने वाले दरिद्र नहीं होते, किंतु पाने वाले निहाल बनते हैं। यह कौंधती तो बिजली जैसी है, …
ધનની તૃષ્ણા
પર્ણક નામનો એક માણસ મહેનત કરીને જે કાંઈ મળે એનાથી પોતાનું ગુજરાન ચલાવતો હતો. તે કયારેક કયારેક ગરીબ તથા દુખી લોકોને મદદ પણ કરતો હતો. એક દિવસ સાંજના સમયે ઘેર …